कबीर दास के 50 लोकप्रिय दोहे- Kabir Das Ke Dohe with Hindi Meaning. February 25, 2021. कबीर दास जी की वाणी में अमृत है। उन्होंने अपने दोहों के माध्यम से समाज की कुरीतियों. कबीर दास जी के प्रसिद्द दोहे हिंदी अर्थ सहित -1- बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय, जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय। अर्थ: जब मैं इस संसार में बुराई खोजने चला तो मुझे कोई बुरा न मिला। जब मैंने अपने मन में झाँक कर देखा तो पाया कि मुझसे बुरा कोई नहीं है। -2- पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय, ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।
संत कबीर दास के दोहे Kabir ke Dohe With Meaning in Hindi Kabir Das ji ke Dohe
कबीर दास जी कहते हैं जब तक देह है तू दोनों हाथों से दान किए जा। जब देह से प्राण निकल जाएगा। तब न तो यह सुंदर देह बचेगी और न ही तू फिर तेरी देह मिट्टी की मिट्टी में मिल जाएगी और फिर तेरी देह को देह न कहकर शव कहलाएगा। क्या सीख मिलती है- #1. बडा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर। पंथी को छाया नही फल लागे अति दूर ॥ Meaning in Hindi कबीर कहते हैं, कि सिर्फ बड़े होने से कुछ नहीं होता. उदाहरण के लिए खजूर का पेड़, जो इतना बड़ा होता है पर ना तो किसी यात्री को धूप के समय छाया दे सकता है, ना ही उसके फल कोई आसानी से तोड़ के अपनी भूख मिटा सकता है . Meaning in English Subscribe: http://www.youtube.com/tseriesbhaktiसंत कबीर के दोहे जो हमें सदैव प्रेरणा देते. कबीर माया पापणीं, हरि सूँ करे हराम। मुखि कड़ियाली कुमति की, कहण न देई राम॥ यह माया बड़ी पापिन है। यह प्राणियों को परमात्मा से विमुख कर देती है तथा उनके मुख पर दुर्बुद्धि की कुंडी लगा देती है और राम-नाम का जप नहीं करने देती। संबंधित विषय : माया बेटा जाए क्या हुआ, कहा बजावै थाल। आवन जावन ह्वै रहा, ज्यौं कीड़ी का नाल॥
संत कबीर दास के दोहे Kabir ke Dohe With Meaning in Hindi Kabir Das ji ke Dohe
Kabir Ke Dohe and their Meaning: Kabir Das was a 15th-century Indian mystic poet and saint. He was the promoter of the poetry of the Gyanashrayi-Nirgun branch in the devotional era of Hindi literature. His compositions influenced the Bhakti movement of the Hindi state to a deep level. He was secular, not believing in Hinduism and Islam. पढ़िए महान संत कबीर दास जी के दोहों के विशाल संकलन को: kabir das ke dohe-एक-एक दोहे आज के बड़े-बड़े प्रेरक वक्ताओं के घंटे की सीख पर भारी है ! Sant Kabirdas was a famous poet, saint and social reformer of India. His writings have greatly influenced the Bhakti movement. Kabir Panth which is a religio. संत कबीर दास जी के प्रसिद्ध दोहे अर्थ सहित | Sant Kabir Das Dohe With Meaning In Hindi |Music by: https://www.bensound.com
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30+ कबीर दास जी के दोहे (भजन) हिन्दी अर्थ सहित Kabir Ke Dohe in Hindi. 1. गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय ।. बलिहारी गुरु आपनो, जिन गोविंद दियो बताय. कबीर जयंती विशेष : संत कबीर के कुछ चुनिंदा दोहे कविता : धर्म संकट में ईश्वर हिन्दी कविता : ईश्वर की अद्भुत कृति 'नर्स' हिंदी कविता : प्रकृति धर्म lock down poem : पथिकों की डगर को मखमली रखना Kabir ke dohe : संत कबीर दास जी के 13 प्रसिद्ध दोहे Kabir Das
कबीरदास का नाम समाज सुधारकों में अग्रणी रूप से लिया जाता है .वह धर्म में फैले कुरीति और अविश्वास अंधविश्वास को सिरे से नकारते हुए कहते हैं। माला फेरने से कुछ नहीं होता, माला फेरते - फिरते युग बीत जाता है , फिर भी मन में वह सद्गति नहीं अभी जो एक प्राणी में होना चाहिए। इसलिए वह कहते हैं कि यह सब मनके के मालाएं व्यर्थ है। इन सबको छोड़ देना चाहिए ,. संत कबीर दास (Kabir Das ke Dohe) के 25 प्रसिद्ध दोहे हिंदी अर्थ सहित फ़रवरी 23, 2021 दिसम्बर 21, 2023 Deesha
Top 250+ Kabir Das Ke Dohe In Hindi संत कबीर के प्रसिद्द दोहे और उनके अर्थ हिंदी साहित्य
Kabir Das ke Dohe in Hindi हाड़ जले ज्यों लकडी, केस जले ज्यों घास। सब तन जलता देख कर,भया कबिरा उदास। आपने इन्हे पढा क्या - रहीमदास जी के 20 प्रसिध्द दोहे कबिर तन पंछी भया, जहां मन तहा उड़ जाय। जो जैसी संगति करै सो तैसा ही फल पाय। माया मरी न मन मरा,मरि मरि गया शरीर। आशा तृष्णा न मरी, यो कह गए संत कबीर। बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय। By Rose 11/08/2022. Kabir Ke Dohe In Hindi लेख में आपको कुछ ऐसे कबीर के दोहे पढने को मिलेंगे जिनका बखान हम अर्थ सहित करने वाले हैं. संत कबीर दास जी के इन दोहों का.